प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रहमान का जन्म 17 मार्च 1920 को तुंगीपारा, गोपालगंज जिला, बंगाल, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह शेख लुत्फ़र रहमान और सईदा सूफिया खातून के चार बेटों में से तीसरे थे।
रहमान ने गोपालगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल और कोलकाता के इस्लामिया कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद वह ढाका विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने चले गये।
राजनीतिक कैरियर
1943 में रहमान ऑल इंडिया मुस्लिम लीग में शामिल हो गए। वह 1954 में बंगाल विधान सभा के लिए चुने गए।
1956 में, रहमान ने अवामी लीग की स्थापना की, जो एक राजनीतिक दल था जो पूर्वी बंगाल की स्वायत्तता की वकालत करता था। वह 1962 में पाकिस्तान नेशनल असेंबली के लिए चुने गए।
1966 में, रहमान ने सिक्स पॉइंट मूवमेंट शुरू किया, एक कार्यक्रम जिसने पूर्वी बंगाल के लिए अधिक स्वायत्तता का आह्वान किया। इस आंदोलन को पाकिस्तानी सरकार द्वारा दमन का सामना करना पड़ा।
आज़ादी के लिए संघर्ष
1970 में, अवामी लीग ने पाकिस्तान नेशनल असेंबली में अधिकांश सीटें जीतीं। हालाँकि, पाकिस्तानी सरकार ने रहमान को सरकार बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
मार्च 1971 में रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की। उन्हें पाकिस्तानी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया।
दिसंबर 1971 में, बांग्लादेश ने भारत की मदद से पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता हासिल की। रहमान को जेल से रिहा कर दिया गया और वे बांग्लादेश लौट आये।
बांग्लादेश के प्रधान मंत्री
रहमान ने 1972 से 1975 तक बांग्लादेश के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के बाद बांग्लादेश के पुनर्निर्माण का निरीक्षण किया। उन्होंने भूमि सुधार और बैंकों के राष्ट्रीयकरण सहित कई सुधार भी पेश किये।
हत्या
15 अगस्त 1975 को सेना अधिकारियों के एक समूह ने रहमान की हत्या कर दी थी। उनकी मृत्यु बांग्लादेश के लिए एक बड़ा झटका थी और देश को राजनीतिक अस्थिरता के दौर में धकेल दिया।
परंपरा
रहमान की विरासत जटिल और विवादास्पद है। बांग्लादेश को आजादी दिलाने में उनकी भूमिका के लिए उनकी व्यापक प्रशंसा की जाती है। हालाँकि, उनके सत्तावादी शासन और उनके कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के लिए उनकी आलोचना भी की जाती है।
विवादों के बावजूद, रहमान बांग्लादेश में एक लोकप्रिय व्यक्ति बने हुए हैं। उन्हें देश की आजादी और लोकतंत्र के लिए संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
उपरोक्त के अलावा, रहमान के जीवन की कुछ अन्य उल्लेखनीय घटनाएँ इस प्रकार हैं:
1952 में, वह पूर्वी बंगाल विधान सभा के लिए चुने गए।
1958 में, उन्हें उनकी राजनीतिक गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था।
1969 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और घर में नजरबंद कर दिया गया।
1972 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1975 में, उन्हें मरणोपरांत बांग्लादेश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार बांग्लादेश स्वाधीनता पदक से सम्मानित किया गया।
रहमान के जीवन और विरासत पर बांग्लादेश में बहस जारी है। हालाँकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह देश के इतिहास में एक महान व्यक्ति थे।